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आसमान की दूरी का नाप – अकबर बीरबल की मजेदार कहानी | Aasman ki duri ka naap

 


अकबर-बीरबल की कहानियाँ अपनी बुद्धिमानी, चतुराई और हास्य के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इस कहानी में सम्राट अकबर एक ऐसा प्रश्न पूछते हैं जिसका उत्तर किसी किताब, विद्वान या वैज्ञानिक के पास नहीं। मगर बीरबल अपनी अद्भुत समझ से इसका समाधान खोज निकालते हैं।


दरबार में उठा असंभव प्रश्न

एक बार की बात है, मुगल सम्राट अकबर अपने शानदार दरबार फतेहपुर सीकरी में बैठे थे। दरबार में सभी मंत्री, दरबारी और नौ रत्न अपनी जगह पर मौजूद थे।
अचानक अकबर ने एक गहरी साँस लेते हुए पूछा:

"धरती से आसमान तक की दूरी कितनी है?"

यह सुनते ही पूरा दरबार सन्न रह गया। इतने असंभव प्रश्न का जवाब किसके पास हो सकता था?


दरबारियों के उत्तर और उलझन

1. गणितज्ञ दरबारी का उत्तर

पहला दरबारी बोला,

"जहाँपनाह, इस दूरी को मापने के लिए वर्षों का समय और बड़े-बड़े यंत्र चाहिए। यह अभी संभव नहीं।"

2. मंत्री का धार्मिक-वैज्ञानिक तर्क

"हुज़ूर, यह दूरी स्थिर नहीं है। बादल, हवा और पहाड़ों की ऊँचाई बदलती रहती है। इसका असल नाप ईश्वर ही जानता है।"

3. कवि का भावनात्मक जवाब

"धरती और आसमान की दूरी तो प्रेमी-प्रेमिका के बीच के फासले जैसी है—नज़रों से दूर, दिल से करीब।"

अकबर इन उत्तरों से संतुष्ट नहीं हुए। उन्हें पता था कि एक व्यक्ति है जो इस मुश्किल प्रश्न का हल ढूँढ सकता है — बीरबल


बीरबल का चमत्कारी उत्तर

अकबर ने बीरबल से पूछा,

"क्या तुम बता सकते हो कि धरती से आसमान तक की दूरी कितनी है?"

बीरबल शांत मुस्कान के साथ बोले,

"जहाँपनाह, यह दूरी उतनी ही है जितनी एक मनुष्य की नज़र की पहुँच।"

दरबार में हल्की हँसी गूँज उठी, पर बीरबल ने आगे समझाया:


“आसमान की दूरी” का तार्किक अर्थ

1. दृष्टि की सीमा ही आसमान की दूरी

"हुज़ूर, हमारी आँखें जहाँ तक देख सकती हैं, वही आसमान की शुरुआत है। इसलिए दूरी आँखों की दृष्टि पर निर्भर करती है।"

2. ऊँचाई बदलने से दूरी बदलती है

  • पहाड़ की चोटी पर खड़े होकर आसमान पास लगता है।

  • कुएँ के तल से देखने पर आसमान दूर लगता है।

यानी यह दूरी किसी यंत्र से नहीं, बल्कि व्यक्ति के दृष्टिकोण से मापी जाती है।


अकबर की सराहना और बीरबल की विजय

बीरबल के सरल परंतु तार्किक उत्तर ने सभी को नि:शब्द कर दिया।
अकबर ने प्रसन्न होकर कहा:

"बीरबल, तुमने फिर सिद्ध किया कि कठिन सवालों के सरल उत्तर तुम्हारी बुद्धि में छिपे होते हैं।"

दरबार तालियों से गूँज उठा।
इस प्रकार बीरबल ने दिखाया कि सच्चा ज्ञान तर्क और दृष्टिकोण को समझने में है।


कहानी से सीख (Moral of the Story)

  • हर प्रश्न का उत्तर केवल किताबों में नहीं मिलता।

  • दृष्टिकोण बदलने से बड़ी से बड़ी उलझन आसान हो सकती है।

  • बुद्धिमत्ता जटिल बात को सरल बनाने में है।

  • प्रकृति की कई चीजें स्थिर नहीं होतीं—उनका अर्थ समझना अधिक आवश्यक है।

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