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तेनाली राम की कहानी: अदृश्य घोड़ा और बुद्धिमत्ता की जीत | Tenali Raman Moral Story in Hindi

 

Tenali Raman Moral Story in Hindi

विजयनगर राज्य के प्रसिद्ध महाराज कृष्णदेवराय कला और कलाकारों के बड़े प्रशंसक थे। उनके दरबार में देश-विदेश से कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाने आया करते थे। एक दिन दरबार में एक नया चित्रकार आया। वह अपनी कला की बहुत प्रशंसा करता था और बड़े गर्व से कहता था कि उसके बनाए चित्र इतने जीवंत होते हैं मानो उनमें जान हो।

महाराज कृष्णदेवराय ने उसकी बातों को परखने के लिए उसे एक चित्र बनाने का अवसर दिया। चित्रकार कुछ दिनों बाद एक विशाल कैनवास लेकर दरबार में पहुँचा। लेकिन जैसे ही सबकी नज़र कैनवास पर पड़ी, सभी चकित रह गए — कैनवास पूरी तरह खाली था।

महाराज ने आश्चर्य से पूछा, “यह क्या है?”

चित्रकार ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया,
“महाराज, यह कोई साधारण चित्र नहीं है। यह एक दौड़ता हुआ घोड़ा है। इसकी गति इतनी तेज़ है कि कोई इसे देख नहीं सकता। केवल सच्चे कला-पारखी ही इसकी जीवंतता को महसूस कर सकते हैं।”

राजा को नाराज़ न करने के डर से दरबारी भी एक-दूसरे को देखकर बोले,
“वाह! क्या अद्भुत कला है!”

दरबार में तेनाली राम भी उपस्थित थे। वे सब कुछ चुपचाप देख रहे थे। महाराज ने उनसे पूछा,
“तेनाली, तुम्हें यह चित्र कैसा लगा?”

तेनाली कुछ देर तक खाली कैनवास को ध्यान से देखते रहे, फिर मुस्कुराते हुए बोले,
“महाराज, ऐसा जीवंत घोड़ा मैंने आज तक नहीं देखा। इसकी रफ्तार तो अद्भुत है! ऐसा लग रहा है जैसे यह अभी-अभी यहाँ से दौड़कर गया हो।”

दरबार में सन्नाटा छा गया। सभी हैरान थे। तभी तेनाली आगे बोले,
“लेकिन महाराज, एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही।”

चित्रकार घबराने लगा।

तेनाली ने कहा,
“इतना तेज़ और शक्तिशाली घोड़ा जब दौड़ता है, तो ज़मीन पर उसके खुरों के निशान जरूर होते। उसे भूख-प्यास भी लगती होगी। फिर उसका चारा और पानी कहाँ है? और दौड़ते समय उसने कुछ गंदगी या धूल भी तो उड़ाई होगी!”

चित्रकार का चेहरा पीला पड़ गया। उसके पास कोई उत्तर नहीं था।

महाराज कृष्णदेवराय ज़ोर-ज़ोर से हँस पड़े। उन्हें सच्चाई समझ में आ गई। चित्रकार झूठ बोलकर सबको मूर्ख बना रहा था। उसे उसके छल के लिए दंड दिया गया।

सभी दरबारी तेनाली राम की बुद्धिमत्ता और हाज़िरजवाबी के कायल हो गए। एक बार फिर तेनाली ने अपनी समझदारी से दरबार को ठगी से बचा लिया।

🌟 कहानी की सीख (Moral of the Story)

सच्ची बुद्धिमत्ता वही है जो झूठ और दिखावे को सवालों के ज़रिए उजागर कर दे।
खाली शब्दों और झूठी प्रशंसा से सच्चाई नहीं छिपाई जा सकती।

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