भारत के विजयनगर साम्राज्य में तेनालीराम अपनी बुद्धि, चतुराई और हाज़िरजवाबी के लिए जाने जाते थे। वे अक्सर राजा कृष्णदेव राय की समस्याओं को अनोखे और मज़ेदार तरीकों से हल करते थे।
यह कहानी “सपनों का हिसाब” हमें सिखाती है कि केवल सपने देखने से जीवन नहीं बदलता—मेहनत और लगन ही असली कुंजी है।
एक आलसी व्यापारी की अजीब आदत
विजयनगर राज्य में एक व्यापारी रहता था—उसका नाम था गोविंद।
गोविंद बहुत आलसी था।
वह दिन भर बस आराम करता, ऊँघता, और बड़े-बड़े सपने देखता रहता।
- कभी सोचता कि वह राजा बन गया है
- कभी सोचता कि उसके पास सोने-चांदी का अनगिनत खजाना है
- और कभी सोचता कि वह दुनिया का सबसे अमीर आदमी है
एक दिन उसने देखा... एक खजाना!
गोविंद ने एक सपना देखा—
एक विशाल सोने के सिक्कों से भरी पेटी, जिसे पाकर वह बहुत खुश था।
लेकिन जैसे ही उसकी आंख खुली…
खाली हाथ!
ना पेटी, ना सिक्के, ना खजाना।
वह बहुत निराश हुआ।
सपने का ‘हिसाब’ मांगने पहुँचा महल
गोविंद के दिमाग में एक अजीब विचार आया:
“जब सपने में खजाना मिला है, तो सपना दिखाने वाला मुझसे पैसे लेने क्यों नहीं आया?”
इस सोच के साथ वह राजा कृष्णदेव राय के दरबार में पहुँच गया।
वह चिल्लाया—
“महाराज! मुझे सपने में खजाना मिला है, लेकिन जिसने सपना दिखाया, उसने मुझसे पैसे नहीं लिए! यह न्याय नहीं है।”
दरबार में सब हँस पड़े।
राजा ने समझाया कि सपने सच नहीं होते, पर गोविंद नहीं माना।
तेनालीराम की एंट्री — और एक अनोखा खेल
राजा ने तेनालीराम की ओर देखा।
तेनाली बोले:
“महाराज, गोविंद की बात में दम है। सपना दिखाने वाले को उसका पैसा तो मिलना चाहिए।”
सभी हैरान हुए, गोविंद खुश हो गया।
तेनाली बोले—
“कल मैं सपना दिखाने वाले को लेकर आऊँगा।”
अगले दिन का दरबार
अगली सुबह दरबार लगा।
तेनालीराम एक आदमी को लेकर आए, जिसके हाथ में एक थैली थी।
राजा ने पूछा—
“क्या तुमने गोविंद को सपना दिखाया था?”
वह बोला—
“हाँ महाराज! मैंने ही उसे सोने की पेटी वाला सपना दिखाया था। अब वह मुझे पैसे दे।”
गोविंद डर गया।
वह बोला—
“लेकिन मुझे असल में तो कुछ नहीं मिला! वह पेटी तो सपने में ही थी… असल में कहाँ है?”
तेनालीराम का जबरदस्त जवाब
तेनाली मुस्कुराए और बोले—
“गोविंद, जब सपने में मिली पेटी असली नहीं हो सकती, तो सपने का बिल असली कैसे हो सकता है?”
“सपना झूठा—तो उसका हिसाब भी झूठा!”
गोविंद शर्मिंदा हो गया।
गोविंद का परिवर्तन
गोविंद को अपनी गलती समझ में आ गई।
वह बोला—
“महाराज, मैं समझ गया। सिर्फ सपने देखने से कुछ नहीं होता। असली काम करके ही सफलता मिलती है।”
राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम की बुद्धिमानी से बहुत खुश हुए।
उन्होंने गोविंद को सलाह दी—
“मेहनत करो—तभी तुम्हारे सपने सच होंगे।”
कहानी की शिक्षा
"सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना ज़रूरी है।"
